पिछम धरासू म्हारो आलम राजा आवे रे,
पिछम धरासू म्हारो हिंदवा सूरज आवे रे
ढोली ध्वजा फरुकवे रामा धनिया जीवे।
बाबा रामदेवजी ओ थाने खम्मा घनी
म्हारा कलियुग रा अवतार थाने खम्मा घनी,
ओ मरुधर रा ओ देव थारी ध्वजा फारुके सारा देस माँ।साचा मनसु ध्यावे उनरो जनम सुफल होए जायसी।
माता मेनादे रा लाल थाणे खम्मा घनी,
बाबा रामदेवजी ओ थाने खम्मा घनी
पिछम धरासू म्हारो आलम राजा आवे रे।
रामा कहू की रामदेव,हीरा कहू की लाल
ज्याने मिलिया रामदेव वाने कीन्हा निहाल
तंवर वंश मे चीमक्यो तारो,मरुधर रो उद्धार कियो।नाथ द्वारीकाधाम सु आया अजमल घर अवतार लियो।
भेदभाव रो भरम मिटाया, रामापीर युगपुरुष कहाया।परचा रो लाग्यो भंडार
ओ चालो रे , बाबा रामदेव रे दरबार
पिछम धरासू म्हारो आलम राजा आवे रे
थारा परचा गीणया न जावे ज्यू सागर री लेहरा
भक्ता खातर खड्या ओ बाबा थे आठो हि पहरा।
मरुधर मे ज्योत जगाई गयो
बाबो धोळी ध्वजा फहराई गयो,
म्हारो सांवरीयो बनवारी
बाबो पिचरंग पेचा धारी,
भगता रे कारण अजमल घर अवतार लियो
कसुमल केसरिया बागा रो सीणगार कियो
पिछम धरासू म्हारो आलम राजा आवे रे।
ओ हिंदवा रा पीर थारी लीला हे सरकार,
धोरा धरती राज करो थे राम राज कुमार।
पिछम धरासू म्हारो आलम राजा आवे रे,
पिछम धरासू म्हारो हिंदवा सूरज आवे रे
ढोली ध्वजा फरुकवे रामा धनिया जीवे।