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राम भजन लिरिक्स

Dheere Chalo Main Haari laxman,धीरे चलो मैं हारी रे लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी,ram bhajan

धीरे चलो मैं हारी रे लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी

धीरे चलो मैं हारी रे लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी।धीरे चलो मैं हारी रे लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी।

एक तो छूट गए मात पिता मेरे,एक तो छूट गए मात पिता मेरे,एक तो छूट गए मात पिता मेरे। दूजी विपत की मारी,रे लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी।धीरे चलो मैं हारी रे लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी।

एक तो हमको भूख लगी है।एक तो हमको भूख लगी है।एक तो हमको भूख लगी है। प्यास लगी है हमें भारी,रे लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी।धीरे चलो मैं हारी रे लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी।

एक तो वन में कांटे बहुत है।एक तो वन में कांटे बहुत है।एक तो वन में कांटे बहुत है। इनमें उलझ रही साड़ी,रे लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी।धीरे चलो मैं हारी रे लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी।

पथरीला है वन का रास्ता।पथरीला है वन का रास्ता।पथरीला है वन का रास्ता। छाती फटे हैं हमारी,रे लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी।धीरे चलो मैं हारी रे लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी।

एक तो मैं महलन की रानी।एक तो मैं महलन की रानी।एक तो मैं महलन की रानी। दूजी उम्र मेरी बाली,रे लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी।धीरे चलो मैं हारी रे लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी।

एक तो बन में एकली भेजी।एक तो बन में एकली भेजी।एक तो बन में एकली भेजी। दूजे पांव मेरा भारी,,रे लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी।धीरे चलो मैं हारी रे लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी।

चलत चलत मोहे छाले पड गये।चलत चलत मोहे छाले पड गये।चलत चलत मोहे छाले पड गये। तुम जीते मैं हारी,,रे लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी।धीरे चलो मैं हारी रे लक्ष्मण धीरे चलो मैं हारी।

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