अरे तू मन की मौज उड़ा दे भंवरा फिर नहीं आएगा।अरे तू मन की मौज उड़ा दे भंवरा फिर नहीं आएगा।
प्रीत करो तो राम ऐसी करियो जैसे खेत ज्वार। ज्यों बाओ ज्यों उगे रे चौगुनी ज्यों ज्यों हरिया होए।अरे तू मन की मौज उड़ा दे भंवरा फिर नहीं आएगा।अरे तू मन की मौज उड़ा दे भंवरा फिर नहीं आएगा।
प्रीत करो तो राम ऐसी करियो जैसे झाड़ी बोर।प्रीत करो तो राम ऐसी करियो जैसे झाड़ी बोर। ऊपर लाली प्रेम की रे भीतर बना कठोर।अरे तू मन की मौज उड़ा दे भंवरा फिर नहीं आएगा।अरे तू मन की मौज उड़ा दे भंवरा फिर नहीं आएगा।
प्रीत करो तो राम ऐसी करियो, जैसे लौटा डोर।प्रीत करो तो राम ऐसी करियो, जैसे लौटा डोर। घाना बांधावे आपना रे लावे निर चकोर।अरे तू मन की मौज उड़ा दे भंवरा फिर नहीं आएगा।अरे तू मन की मौज उड़ा दे भंवरा फिर नहीं आएगा।
कहत कबीर सुनो भाई साधु यह पद है निर्माण।कहत कबीर सुनो भाई साधु यह पद है निर्माण। इन पद रा कोई अर्थ खोज दे वो नर चतुर सुजान।अरे तू मन की मौज उड़ा दे भंवरा फिर नहीं आएगा।अरे तू मन की मौज उड़ा दे भंवरा फिर नहीं आएगा।