शंकर का डमरू बाज रहा सावन के महीने में।शंकर का डमरू बाज रहा सावन के महीने में। छम छम छम मनवा नाच रहा सावन के महीने में।शंकर का डमरू बाज रहा सावन के महीने में।
घन घन घन घन बादल गरजे, भोले दरस को नैना तरसे।घन घन घन घन बादल गरजे, भोले दरस को नैना तरसे। चल मन चल भोले के द्वारे ,भोले ही है देव हमारे। महादेव का मंदिर सज रहा सावन के महीने में।छम छम छम मनवा नाच रहा सावन के महीने में।शंकर का डमरू बाज रहा सावन के महीने में।
चारों ओर है शुभ का मंगल, मोहे पर्वत सोहे जल थल।चारों ओर है शुभ का मंगल, मोहे पर्वत सोहे जल थल। दादर मोर पपीहा बोले, भक्तजन सब करते करतल धन। गंगाजल सब डाल रहे सावन के महीने में।छम छम छम मनवा नाच रहा सावन के महीने में।शंकर का डमरू बाज रहा सावन के महीने में।
हर कोई शिव मंत्र गाए, बम बम आवाज लगाये। सब मिल बोले नमः शिवाय, शिव का नाम ही भय मिटाए। रख सारा ही जाग जाग रहा सावन के महीने में।छम छम छम मनवा नाच रहा सावन के महीने में।शंकर का डमरू बाज रहा सावन के महीने में।
शंकर का डमरू बाज रहा सावन के महीने में।शंकर का डमरू बाज रहा सावन के महीने में। छम छम छम मनवा नाच रहा सावन के महीने में।शंकर का डमरू बाज रहा सावन के महीने में।