तर्ज, दीनानाथ मेरी बात
झोली सब की सब की भर्ती है मां अंजनी के दरबार में। कोई कमी ना रखती है मां ममता में और प्यार में।झोली सब की सब की भर्ती है मां अंजनी के दरबार में। कोई कमी ना रखती है मां ममता में और प्यार में।
सालासर में मां अंजनी का प्यारा सा दरबार है। जिसको जैसा चाहे वैसा मां देती उपहार है।सालासर में मां अंजनी का प्यारा सा दरबार है। जिसको जैसा चाहे वैसा मां देती उपहार है। भेदभाव ना करती है मां बच्चों से व्यवहार में।कोई कमी ना रखती है मां ममता में और प्यार में।झोली सब की सब की भर्ती है मां अंजनी के दरबार में। कोई कमी ना रखती है मां ममता में और प्यार में।
आता है जो आशा लेकर माता उसे बुलाती है। लेकर बच्चों को आंचल में अपना प्यार लुटाती है।आता है जो आशा लेकर माता उसे बुलाती है। लेकर बच्चों को आंचल में अपना प्यार लुटाती है। हर नारी की गोद है भरती देती खुशी परिवार में।कोई कमी ना रखती है मां ममता में और प्यार में।झोली सब की सब की भर्ती है मां अंजनी के दरबार में। कोई कमी ना रखती है मां ममता में और प्यार में।
होती है हर डाल पर नजरें फल उसको मिलता ही है। देती है मां सबको वर ,हर फूल वहां खिलता ही है।होती है हर डाल पर नजरें फल उसको मिलता ही है। देती है मां सबको वर ,हर फूल वहां खिलता ही है। चहकता है वह हर आंगन और महक उठे गुलजार में।कोई कमी ना रखती है मां ममता में और प्यार में।झोली सब की सब की भर्ती है मां अंजनी के दरबार में। कोई कमी ना रखती है मां ममता में और प्यार में।
झोली सब की सब की भर्ती है मां अंजनी के दरबार में। कोई कमी ना रखती है मां ममता में और प्यार में।झोली सब की सब की भर्ती है मां अंजनी के दरबार में। कोई कमी ना रखती है मां ममता में और प्यार में।