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Nirgun galiya saakri mhari heli,निर्गुण गालियां सांकरी म्हारी हेली

निर्गुण गालियां सांकरी म्हारी हेली

दोहा,साहिब तेरी साहिबी हर घट रही समाए
जैसे मेहंदी के पात में लाली लखी ना जाए,
लाली मेरे लाल की, मैं जब देखूं तब लाल,
लाली देखन मैं गयी, तो मैं हो गयी लालम लाल
काठ के बीच में अग्नि जैसे, ऐसे तिल में तेल निवास हैदूध के बीच में घी जैसे, ऐसे फूलन के बीच में बास है


निर्गुण गालियां सांकरी म्हारी हेली
वहाँ चढ़यो नहीं जाए,निर्गुण गालियां सांकरी म्हारी हेली वहाँ चढ़यो नहीं जाए,
वहाँ चढ़े तो पिया मिले म्हारी हेली
थारो आवागमन मिट जाए,
यो तो पाछो जनम नहीं आये,
म्हारी हेली वो चालो गुराजी रा देस,
म्हारे लाग्या भजन वाला बाण म्हारी हेली
चालो हमारा देस।


कहाँ उगे कहाँ आसते, म्हारी हेली
कहाँ उजाला होय?कहाँ उगे कहाँ आसते, म्हारी हेली कहाँ उजाला होय?
यहीं उगे ने यहीं आसते, म्हारी हेली
यहीं उजाला होय,
म्हारी हेली वो चालो हमारा देस।


कहाँ गरजे ने कहाँ बरसे, म्हारी हेली
कहाँ सूखा का हरिया होय?कहाँ गरजे ने कहाँ बरसे, म्हारी हेली
कहाँ सूखा का हरिया होय?
यहीं गरजे ने यहीं बरसे, म्हारी हेली
यहीं सूखा का हरिया होय
म्हारी हेली वो चालो हमारा देस


निर्गुण का बाज़ार में म्हारी हेली
हीरा को होवे व्यापार,निर्गुण का बाज़ार में म्हारी हेली हीरा को होवे व्यापार,
सुगुरा मानव तो सौदो करे म्हारी हेली
ई तो नुगुरा मूल गंवाए
म्हारी हेली वो चालो हमारा देस।


अनहद का मैदान में म्हारी हेली
म्हारा साहिब जी की सेज।अनहद का मैदान में म्हारी हेली म्हारा साहिब जी की सेज।
कहे कबीर धर्मदास से म्हारी हेली
न तो मरे न बूढ़ा होय,
म्हारी हेली वो चालो हमारा देस।

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