कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है, मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है।
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है, ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है।कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है, मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है।
मुहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है, कभी कबीरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है।
यहां सब लोग कहते हैं मेरी आँखों में आँसू हैं, जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है।कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है, मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है।
बदलने को तो इन आँखों के मंज़र कम नहीं बदले, तुम्हारी याद के मौसम, हमारे गम नहीं बदले।तुम अगले जन्म में हमसे मिलोगी तब तो मानोगी, जमाने और सदी की इस बदल में हम नहीं बदले।कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है, मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है।
हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नहीं सकते, मगर रस्मे-वफा ये है कि ये भी कह नहीं सकते।जरा कुछ देर तुम उन साहिलों की चीख सुन भर लो, जो लहरों में तो डूबे हैं, मगर संग बह नहीं सकते।कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है, मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है।
समन्दर पीर का अन्दर है लेकिन से नहीं सकता, ये आँसू प्यार का मोती है इसको खो नहीं सकता।मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले, जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता।कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है, मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है।
मिले हर जख्म को, मुस्कान से सीना नहीं आया, अमरता चाहते थे, पर गरल पीना नहीं आया।
तुम्हारी और मेरी दास्तां में फर्क इतना है, मुझे मरना नहीं आया, तुम्हें जीना नहीं आया।कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है, मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है।