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विविध भजन

Man Mast Hua Phir Kya Bole,मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,

मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,


दोहा,आज बदरा उठा प्रेम का,
रे हम पर बरसा होइ,
हर्षिली हो गई आत्मा,
और हरी भरी बनराई,



मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,
क्या बोले फिर क्या बोले,
मस्त हुआ फिर क्या बोले,
मस्त हुआ फिर क्या बोले,
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,



हलकी थी जब चढ़ी तराजू,
हलकी थी जब चढ़ी तराजू,
पूरी भरी अब क्यों तौले,
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,



हीरा पाया बाँध गठरिया,
हीरा पाया बाँध गठरिया,
बार बार वा को क्यों खोले,
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,


हंसा नहाया मान सरोवर,
ताल तलैया में क्यों डोले,
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,



कहत कबीर सुनो भाई साधो,
साहिब मिल गया तिल ओले,
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,

मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,
क्या बोले फिर क्या बोले,
मस्त हुआ फिर क्या बोले,
मस्त हुआ फिर क्या बोले,
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,
मन मस्त हुआ फिर क्या बोले,

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