शब्द झड़ लाग्यो जी,बरसन लाग्यो रंग । शब्द झड़ लाग्यो जी,बरसन लाग्यो रंग । बरसन लाग्यो रंग कोई बरसन लाग्यो रंग । शब्द झड़ लाग्यो जी,बरसन लाग्यो रंग ।
चढ़ गई सूरत पच्छम दरवाजा, त्रिकुटीमहल पुरुष एक राजा।।चढ़ गई सूरत पच्छम दरवाजा, त्रिकुटीमहल पुरुष एक राजा।।अनहद की झंकार,बजे जहां बाजा जी बरसन लाग्यो रंग । शब्द झड़ लाग्यो जी,बरसन लाग्यो रंग । शब्द झड़ लाग्यो जी,बरसन लाग्यो रंग ।
अपने पीया संग जाके सौई,शंसय शोग रहा ना कोई।अपने पीया संग जाके सौई,शंसय शोग रहा ना कोई।कट गए कर्म क्लेश,भर्म भय भाग्यो जी बरसन लाग्यो रंग । शब्द झड़ लाग्यो जी,बरसन लाग्यो रंग । शब्द झड़ लाग्यो जी,बरसन लाग्यो रंग ।
चौथी भक्ति तो अमृत बरसे, सुरता नार पिया ने तरसे।चौथी भक्ति तो अमृत बरसे, सुरता नार पिया ने तरसे। झीनी झीनी बरसे बूंद मेरो मन लागे जी,बरसन लाग्यो रंग । शब्द झड़ लाग्यो जी,बरसन लाग्यो रंग ।शब्द झड़ लाग्यो जी,बरसन लाग्यो रंग ।
कह कबीर सत्तगुरु दइ ताली।शब्द विहंगम चाल हमारी,रिमझिम-२ होए,काल वश आ गयो जी,बरसन लाग्यो रंग । शब्द झड़ लाग्यो जी,बरसन लाग्यो रंग ।शब्द झड़ लाग्यो जी,बरसन लाग्यो रंग ।
जन्म मरण की चिंता भागी, सुमरत नाम भजन। सत्तगुरु दीन्ही सैन,सत्त घर पा गयो जी,बरसन लाग्यो रंग । शब्द झड़ लाग्यो जी,बरसन लाग्यो रंग ।शब्द झड़ लाग्यो जी,बरसन लाग्यो रंग ।