लिकडे बहन किसी की घर ते, देखें जो भी बुरी नजर ते। एक सवाल मेरे भाइयों थारे ते मेरा है। धरो हाथ अपनी छाती पर फिर पाटेगा बेरा रे।धरो हाथ अपनी छाती पर फिर पाटेगा बेरा रे।
कुल की इज्जत बहन बताइ, उसने समझाओ सो भाई। रहिए पल्ले पौंछ सोचकर, रखिए कदम सदा मा जाई। यो से थारा रूप कुडाला। खुद रखो भीतर में काला। जानबूझकर रे सोते वह करें अंधेरा है।धरो हाथ अपनी छाती पर फिर पाटेगा बेरा रे।धरो हाथ अपनी छाती पर फिर पाटेगा बेरा रे।
जितनी थमने लागे खारी, उतनी हमने इज्जत प्यारी। बेटी बहन एक है सबकी ,मत ना समझो न्यारी न्यारी। म्हारी बहन बहू बन जाती, और किसी की म्हारे आती। समझनिये न एक इशारा होवे भतेरा रे।धरो हाथ अपनी छाती पर फिर पाटेगा बेरा रे।धरो हाथ अपनी छाती पर फिर पाटेगा बेरा रे।
जो भी हो से सच्चा भाई, कोनया चले पवन की राही। लाज शर्म की लाग जगत में, समझदार के खास बताइ। के मूर्ख का है समझाना, रेल महोशे मुंह ते गड़ाना। सोच समझ चालनीये का ना झुकता चेहरा रे।धरो हाथ अपनी छाती पर फिर पाटेगा बेरा रे।धरो हाथ अपनी छाती पर फिर पाटेगा बेरा रे।
हो रब तने जोस गात में भरीए । कड़वा सच कहते मत डरिए। तेल जिसे छींटे लगेंगे, सुन के बात तेरी ना बिसरिए। यू से ओम गुरु का नारा, फलियो धर्म सनातन मारा। लिखिए वह खेल हो नाम उजागर तेरा रे।धरो हाथ अपनी छाती पर फिर पाटेगा बेरा रे।धरो हाथ अपनी छाती पर फिर पाटेगा बेरा रे।
लिकडे बहन किसी की घर ते, देखें जो भी बुरी नजर ते। एक सवाल मेरे भाइयों थारे ते मेरा है। धरो हाथ अपनी छाती पर फिर पाटेगा बेरा रे।धरो हाथ अपनी छाती पर फिर पाटेगा बेरा रे।