सबसु न्यारो सबसु प्यारो म्हारे मरुधर देश,
सीधा साधा मनक मानवी सीधो साधो वेश,
पछे महे क्यों जावा परदेस,पछे महे क्यों जावा परदेस।
धोला धोला धोरिया माही चांदी जेडी रेत अठे। हिलमिल सगला रहवा में तो भाई जेड़ा हैत अठे। मरुधरिया में नहीं बजे रे कोई राग और द्वेष।पछे महे क्यों जावा परदेस,पछे महे क्यों जावा परदेस।
खेता निपचे बाजरियो और जीण रा मीठा फुक अठे। गाजर बोर मतीरा घनेरा इण रो जेड़ो स्वाद कठे लहराता चोखा लागे मरुधरिया रा खेत।पछे महे क्यों जावा परदेस,पछे महे क्यों जावा परदेस।
खेजड़ली री ठंडी छाया मन मुल्कावे खेत अठे।बागा बोले मोरिया और कोयल री किलकार अठे। सावन सुरंगी रुत अलबेली मन हरसावे रे।पछे महे क्यों जावा परदेस,पछे महे क्यों जावा परदेस।
निर्मल गंगा जल सो पानी, जो नदिया रो नीर अठे। आन बान पर मर मिट जावे जामण जाया बीर अठे। अरे हटीलो ओ गर्वीलो म्हारो मरुधर देश।पछे महे क्यों जावा परदेस,पछे महे क्यों जावा परदेस।
सबसु न्यारो सबसु प्यारो म्हारे मरुधर देश,
सीधा साधा मनक मानवी सीधो साधो वेश,
पछे महे क्यों जावा परदेस,पछे महे क्यों जावा परदेस।