बीरा थारी चुनडली रा,
चटका है दिन चार,
पुराणी पड़गी चुनड़ी।।
खाले पिले ओर खर्च ले,
कर चुनड़ी रो मान,
प्रताप गिरी यू कहते हैं,
रखो गुरु चरणों में ध्यान,
बीरा थारी चुनडली रा,
चटका है दिन चार,
पुराणी पड़गी चुनड़ी।।
सुध बुध भुलियो शरीर को रे,
थोड़ो भावे धान,
डगमग डगमग नाड़ चाले,
अब तू भज भगवान,
बीरा थारी चुनडली रा,
चटका है दिन चार,
पुराणी पड़गी चुनड़ी।।
बीरा थारी चुनडली रा,
चटका है दिन चार,
पुराणी पड़गी चुनड़ी।।