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Santo amarlok Kun jassi,संतो अमरलोक कुण जासी

संतो अमरलोक कुण जासी



कुण है ठाकर कुण है चाकर, कुण है आगे दासी।कौन पुरष री फिरे दुहाई, कौन नगर रो वासी ।संतो अमरलोक कुण जासी । कुण है ठाकर कुण है चाकर, कुण है आगे दासी।संतो अमरलोक कुण जासी ।




मन है ठाकर तन है चाकर,दस इन्द्रिया दासी।
मन है ठाकर तन है चाकर,दस इन्द्रिया दासी। अविनाशी री फिरे दुहाई, हंस नगरिया रो वासी ।संतो अमरलोक कुण जासी ।




कुण है गुरु कुण है चेला,कुण पुरुष अविनाशी ।कुण है गुरु कुण है चेला,कुण पुरुष अविनाशी । कहो हंसा तुम किसे कहत हो, बात बतावो साँची। संतो अमरलोक कुण जासी ।



सबद गुरु ने सूरत चेला, अमर पुरुष अविनाशी ।सबद गुरु ने सूरत चेला, अमर पुरुष अविनाशी ।
हंसा उलट सोहं होत है,पार ब्रह्मा प्रकाशी। संतो अमरलोक कुण जासी ।





गुरु जोरावर पूरा मिलिया, बात बताई म्हाने साँची।गुरु जोरावर पूरा मिलिया, बात बताई म्हाने साँची। हेमनाथ सतगुरु जी शरणे, संत अमरापुर जासी । संतो अमरलोक कुण जासी ।

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