कुण है ठाकर कुण है चाकर, कुण है आगे दासी।कौन पुरष री फिरे दुहाई, कौन नगर रो वासी ।संतो अमरलोक कुण जासी । कुण है ठाकर कुण है चाकर, कुण है आगे दासी।संतो अमरलोक कुण जासी ।
मन है ठाकर तन है चाकर,दस इन्द्रिया दासी।
मन है ठाकर तन है चाकर,दस इन्द्रिया दासी। अविनाशी री फिरे दुहाई, हंस नगरिया रो वासी ।संतो अमरलोक कुण जासी ।
कुण है गुरु कुण है चेला,कुण पुरुष अविनाशी ।कुण है गुरु कुण है चेला,कुण पुरुष अविनाशी । कहो हंसा तुम किसे कहत हो, बात बतावो साँची। संतो अमरलोक कुण जासी ।
सबद गुरु ने सूरत चेला, अमर पुरुष अविनाशी ।सबद गुरु ने सूरत चेला, अमर पुरुष अविनाशी ।
हंसा उलट सोहं होत है,पार ब्रह्मा प्रकाशी। संतो अमरलोक कुण जासी ।
गुरु जोरावर पूरा मिलिया, बात बताई म्हाने साँची।गुरु जोरावर पूरा मिलिया, बात बताई म्हाने साँची। हेमनाथ सतगुरु जी शरणे, संत अमरापुर जासी । संतो अमरलोक कुण जासी ।