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रानीसती दादी भजन लीरिक्स

Dadi mhari jhul rahi,दादी म्हारी झूल रही भगता के हाथ में डोर,dadi bhajan

दादी म्हारी झूल रही भगता के हाथ में डोर।

सावन का महीना पवन करे शोर। दादी म्हारी झूल रही भगता के हाथ में डोर।दादी म्हारी झूल रही भगता के हाथ में डोर।

जग रखवाली ने महे ,आज झुलावा। प्यारी प्यारी दादी का लाड लड़ावा।जग रखवाली ने महे ,आज झुलावा। प्यारी प्यारी दादी का लाड लड़ावा। झूला देवा थाने महे लगाकर पुरो जोर।दादी म्हारी झूल रही भगता के हाथ में डोर।दादी म्हारी झूल रही भगता के हाथ में डोर।

सावन का महीना पवन करे शोर। दादी म्हारी झूल रही भगता के हाथ में डोर।दादी म्हारी झूल रही भगता के हाथ में डोर।

झूले पर बैठी बैठी दादी मुसकावे। भगत भी सारा बलिहारी जावे।झूले पर बैठी बैठी दादी मुसकावे। भगत भी सारा बलिहारी जावे। प्रेम भाव से देखे बस दादी जी की और।दादी म्हारी झूल रही भगता के हाथ में डोर।दादी म्हारी झूल रही भगता के हाथ में डोर।

सावन का महीना पवन करे शोर। दादी म्हारी झूल रही भगता के हाथ में डोर।दादी म्हारी झूल रही भगता के हाथ में डोर।

श्याम भी दादी जी ने भजन सुनावे। सावन महीने में झूला झुलावेश्याम भी दादी जी ने भजन सुनावे। सावन महीने में झूला झुलावे। झूम झूम कर नाचे जैसे हो बन में मोर।दादी म्हारी झूल रही भगता के हाथ में डोर।दादी म्हारी झूल रही भगता के हाथ में डोर।

सावन का महीना पवन करे शोर। दादी म्हारी झूल रही भगता के हाथ में डोर।दादी म्हारी झूल रही भगता के हाथ में डोर।

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