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विविध भजन

Bhul baitha hari naam achhi nahi baat hai,भूल बैठा हरि नाम अच्छी नहीं बात है

भूल बैठा हरि नाम अच्छी नहीं बात है

तर्ज, चुप चुप खड़े हो

भूल बैठा हरि नाम अच्छी नहीं बात है, चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात है।भूल बैठा हरि नाम अच्छी नहीं बात है,



बड़े-बड़े पापियों को तार दिया नाम से। तू काहे को भूल बैठा लोभ, मोह, काम से। नादान बनकर भूल बैठा, अच्छी नहीं बात है। चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात है। भूल बैठा हरि नाम अच्छी नहीं बात हैचार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात है।भूल बैठा हरि नाम अच्छी नहीं बात है,



विषय विकार की चादर को लपेट कर। कब तक सोयेगा तू प्रभु को बिसार कर। जाग उठ देख ले हो गई प्रभात है। चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात है ।भूल बैठा हरि नाम अच्छी नहीं बात है,चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात है।भूल बैठा हरि नाम अच्छी नहीं बात है,



मोह-माया तजकर बंदे हरि के गुण गा ले रे। मन मंदिर में ध्यान हरि का अब तो पगले भजले रे ।हीरा सा जन्म तेरा, यूं ही बीता जात है। चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात है। भूल बैठा हरि नाम अच्छी नहीं बात है,चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात है।भूल बैठा हरि नाम अच्छी नहीं बात है,



खाली हाथ आया है बंदे खाली हाथ जायेगा। जपले हरि का नाम वरना फिर पछतायेगा। काहे को ना अब बंदे, मन को समझात है। चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात है। भूल बैठा हरि नाम अच्छी नहीं बात है,चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात है।भूल बैठा हरि नाम अच्छी नहीं बात है,

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