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राम भजन लिरिक्स

Kaha gayi re janki,कहाँ गयी रे जानकी कुटिया के खुल्ले है किवाड़,ram bhajan

कहाँ गयी रे जानकी कुटिया के खुल्ले है किवाड़।

अरे कित गयी रे जानकी कुटिया के खुल्ले है किवाड़।कहाँ गयी रे जानकी कुटिया के खुल्ले है किवाड़।

बता मेरे लक्मण भाई छोड़ी अकेली सीता नार।बता मेरे लक्मण भाई छोड़ी अकेली सीता नार।सिया बिन सूना मेरा धोखा है सारा संसार ,जानकी किसने हर ली टोहु में सारे जंगल झाड।कहाँ गयी रे जानकी कुटिया के खुल्ले है किवाड़।



सिया बिन कोन्या जियु सीता में बस्ते मेरे प्राण। नार मेरी किस संकट में किसने चलाये अग्नि बाण। नार मेरी किस संकट में किसपे चलाऊँ अग्निबाण।फेर वनवासी बांके किसपे जगाऊँ सोती राड। कहाँ गयी रे जानकी कुटिया के खुल्ले है किवाड़।



बनी के वृक्ष बतादो कहाँ तो छुपाई मेरी नार। जमीन आकाश बता दो किसने सतायी मेरी नार। अगर कोई दुश्मन हो तो मुझसे लो बदला निकाल।कहाँ गयी रे जानकी कुटिया के खुल्ले है किवाड़।



नार मेरी रोती होगी कहाँ तो चले गए मेरे राम। सुबह से हुआ दोपहरा अम्बर में ढलती आवें शाम। खड़ा नागर भी रोवें किससे लडाऊ अपने लाड।कहाँ गयी रे जानकी कुटिया के खुल्ले है किवाड़।

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