अचरज खेल अचंभा देखया, ना कोई रंग रूप नहीं रेखा।अचरज खेल अचंभा देखया, ना कोई रंग रूप नहीं रेखा।
पौ जगत गुण तीन पसारा। चेतन एक बहुत विस्तारा।पौ जगत गुण तीन पसारा। चेतन एक बहुत विस्तारा ओ जी।अचरज खेल अचंभा देखया, ना कोई रंग रूप नहीं रेखा।अचरज खेल अचंभा देखया, ना कोई रंग रूप नहीं रेखा।
शशि नहीं सुरती बस नहीं रजनी। ना कोई भगत नहीं कोई भजनी।शशि नहीं सुरती बस नहीं रजनी। ना कोई भगत नहीं कोई भजनी हो ओ।अचरज खेल अचंभा देखया, ना कोई रंग रूप नहीं रेखा।अचरज खेल अचंभा देखया, ना कोई रंग रूप नहीं रेखा।
ना कोई कायर ना कोई सुरा। एक अखंडी सकल घट पूरा।ना कोई कायर ना कोई सुरा। एक अखंडी सकल घट पूरा।अचरज खेल अचंभा देखया, ना कोई रंग रूप नहीं रेखा।अचरज खेल अचंभा देखया, ना कोई रंग रूप नहीं रेखा।
सुन नहीं सुनने धरण नहीं कितना। पीवत प्रेम भयो मन मगना।सुन नहीं सुनने धरण नहीं कितना। पीवत प्रेम भयो मन मगना हो जी।अचरज खेल अचंभा देखया, ना कोई रंग रूप नहीं रेखा।अचरज खेल अचंभा देखया, ना कोई रंग रूप नहीं रेखा।
शब्द ना दरसे बुद्धि ना पर से। चैन की बूंद वही नित बरसे।शब्द ना दरसे बुद्धि ना पर से। चैन की बूंद वही नित बरसे हो जी।अचरज खेल अचंभा देखया, ना कोई रंग रूप नहीं रेखा।अचरज खेल अचंभा देखया, ना कोई रंग रूप नहीं रेखा।
ना कोई ज्ञानी नहीं अज्ञाना। ना कोई मूरख ना कोई स्याना।ना कोई ज्ञानी नहीं अज्ञाना। ना कोई मूरख ना कोई स्याना हो जी।अचरज खेल अचंभा देखया, ना कोई रंग रूप नहीं रेखा।अचरज खेल अचंभा देखया, ना कोई रंग रूप नहीं रेखा।
आप ही बोता आप ही दाना। आप उल्टा आप समाना।आप ही बोता आप ही दाना। आप उल्टा आप समाना हो जी।अचरज खेल अचंभा देखया, ना कोई रंग रूप नहीं रेखा।अचरज खेल अचंभा देखया, ना कोई रंग रूप नहीं रेखा।
ना कोई गया ना कोई आया। जन्म मरण कछु ना होए। धूप की छाया धूप के माही।ना कोई गया ना कोई आया। जन्म मरण कछु ना होए। धूप की छाया धूप के माही हो जी।अचरज खेल अचंभा देखया, ना कोई रंग रूप नहीं रेखा।अचरज खेल अचंभा देखया, ना कोई रंग रूप नहीं रेखा।