तर्ज-घुंघरू की तरह बजता ही रहा हूं मैं
अपनों की कहूँ क्या मैं तुझसे प्रभु, कौन अपना है ये, जानता है भी तू, डाल मुझ पे नजर, तु मेरा हमसफर, है ये जग को बता दिया,
मेरे ओ सांवरे, तूने क्या क्या नहीं किया।
जिसपे पड़ जाती है, श्याम तेरी नजर, डगमगाती नहीं, कभी उसकी डगर, संकटों ने ना फिर मुड़के उसकी तरफ, रुख दोबारा कभी भी किया, मेरे जो सांवरे, तूने क्या क्या नहीं किया।
मेरी है एक अरज, तुमसे ऐ सांवरे, देना कुछ भी ना देना अहम सांवरे, गाऊं तेरे में गुण, हर जगह घूम घूम, श्याम ने क्या से क्या कर दिया, मेरे ओ सांवरे, तूने क्या क्या नहीं किया।
मेरे ओ सांवरे, तूने क्या क्या नहीं किया, जब लगा मैं गिरा, थामा तूने लिया,फिर दोबारा ना गिरने दिया, मेरे ओ सांवरे, तूने क्या क्या नहीं किया।
अपनों की कहूँ क्या मैं तुझसे प्रभु, कौन अपना है ये, जानता है भी तू, डाल मुझ पे नजर, तु मेरा हमसफर, है ये जग को बता दिया,
मेरे ओ सांवरे, तूने क्या क्या नहीं किया।