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विविध भजन

Hume satguru se milna hai,हमे साहिब से मिलना है हमे सतगुरु से मिलना है,

हमे साहिब से मिलना है, हमे सतगुरु से मिलना है

घट बड़ कबहुँ न देखिए और प्रेम सकल भरपूर
जाने ही ते निकट है और अनजाने ते दूर,
टिल के ओट राम है, ने परबत मेरे भाई,सदगुर मिल परिचय भय, ना तभ पाया घट माहि।



हमे साहिब से मिलना है, हमे सतगुरु से मिलना हैअरे मैं तो नशे में खूब यार, मेरे गुरु से मिलना है।



इस लोभ लालच को छोड़ हमे फकीरी लेना है,
जी यार फकीरी लेना है
इस पाप खपत को छोड़ हमे फकीरी लेना है,
जी यार फकीरी लेना है
इस भवसागर को जीत हमें मैं जग में जाना है ॥
अरे मैं तो नशे में खूब यार ,मेरे गुरु से मिलना है
अरे मैं नशे में हो रहा ,मालिक से मिलना है।



इस हद को छोड़ बेहद में जाना है,
जी हमे यार बेहद में जाना है
अरे मूल सुंदरी मदर तरदा, ऐ मनन ही समझती है ॥अरे मैं तो नशे में खूब यार ,मेरे गुरु से मिलना है।अरे मैं नशे में हो रहा ,मालिक से मिलना है।



अरे सफ़ेद महल दिख रहा ,भीखम का चरहना है,वह तो अरे यार कठिन का चरहना है।
अरे सफ़ेद सेज फूलों की वहां, ऐ पुरुष पाया है,
अरे मैं तो नशे में खूब यार ,मेरे गुरु से मिलना है
अरे मैं नशे में हो रहा ,मालिक से मिलना है।



इस मूल सुंदरी को प्यास लगी, अमृत का पीना है, ए जी यार अमृत का पीना है
अरे कहे कबीर सुनो भाई साधो, बस इसी से तिरना हा,
अरे मैं तो नशे में खूब यार ,मेरे गुरु से मिलना है
अरे मैं नशे में हो रहा ,मालिक से मिलना है।

हमे साहिब से मिलना है, हमे सतगुरु से मिलना है।अरे मैं तो नशे में खूब यार, मेरे गुरु से मिलना है।

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