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Man Ro Kahano Mat Kije ,मन रो कहणो मत कीजै लिरिक्स

मन रो कहणो मत कीजै लिरिक्स

ए संतो मनरो कहणो ना कीजै,
ओ सन्तां मनरो कहणो ना कीजै,
दव में काठ कितो ही घालो ,
अगनि नाहीं पसीजे,
साधु भाई, मनरो कहणो ना कीजै।



मन ही माय अनीति कहीजै,
बड़ा बड़ा भूप ठगी जे,
जोधा जबर हार गया इण सूं,
पड्या कैद में सीजे,
साधु भाई, मनरो कहणो ना कीजै।
दव में काठ कितो ही घालो ,
अगनि नाहीं पसीजे,
साधु भाई, मनरो कहणो ना कीजै।



इण मन में एक निज मन कहिजे ,
जिणरो संग करीजे,
ऋषि मुनि उन अन्तर मन से,
साहब रे संग रहीजे,
साधु भाई, मन रो कहणो ना कीजै।
दव में काठ कितो ही घालो ,
अगनि नाहीं पसीजे,
साधु भाई, मनरो कहणो ना कीजै।



मन को मोड़ करे कोई सुगरो,
जद थारो मनवो भीजे,
इड़ा पींगळा बोले जुगत से,
सुकमण रो घर लीजे,
साधु भाई, मनरो कहणो ना कीजै।
दव में काठ कितो ही घालो ,
अगनि नाहीं पसीजे,
साधु भाई, मनरो कहणो ना कीजै।



जीव पीवरी दूरी मेटो,
जद थारो मनवा भीजे,
साधू भाई, जद थारो मनवा भीजे,
मदन कहवे इण मन की मस्ती,
भले भाग है कीजै,
साधु भाई, मन रो कहणो ना कीजै,
दव में काठ कितो ही घालो ,
अगनि नाहीं पसीजे,
साधु भाई, मनरो कहणो ना कीजै।

ए संतो मनरो कहणो ना कीजै,
ओ सन्तां मनरो कहणो ना कीजै,
दव में काठ कितो ही घालो ,
अगनि नाहीं पसीजे,
साधु भाई, मनरो कहणो ना कीजै।

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