रे मनवा खेती करो रे हरी नाम की,नाम री रे चारों धाम री रे।मनवा खेती करो रे हरी नाम की।
हाथ नहीं लागे पैर नहीं लागे,
जीबिया न लागे मास की,
खेती करो रे हरी नाम की,मनवा खेती करो रे हरी नाम की।
रुपया न लागे पैसा न लागे,
कोड़ी न लागे चढाम की,
खेती करो रे हरी नाम की।मनवा खेती करो रे हरी नाम की।
बल नहीं लागे बैल नहीं लागे,
भूमि न लागे किसान की,
खेती करो रे हरी नाम की।मनवा खेती करो रे हरी नाम की।
मन के बैल गुरु दिशा भटके
रस्सी लगाओ गुरु ज्ञान की।खेती करो रे हरी नाम की।मनवा खेती करो रे हरी नाम की।
केहते कबीरा सुनो बाई साधू
बात कहु मैं तोहे काम की।खेती करो रे हरी नाम की।मनवा खेती करो रे हरी नाम की।