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Ajab hairan hu bhagwan tumhe kaise rijhau me,अजब हैरान हूं भगवन तुम्हें कैसे रिझाऊं मैं

अजब हैरान हूं भगवन तुम्हें कैसे रिझाऊं मैं

अजब हैरान हूं भगवन तुम्हें कैसे रिझाऊं मैं
अजब हैरान हूं भगवन तुम्हें कैसे रिझाऊं मैं। कोई वस्तु नहीं ऐसी, जिसे सेवा में लाऊं मैं



करें किस तौर आवाहन कि तुम मौजूद हो हर जहां।निरादर है बुलाने को, अगर घंटी बजाऊं मैं।अजब हैरान हूं भगवन तुम्हें कैसे रिझाऊं मैं।



तुम्हीं हो मूर्ति में भी, तुम्हीं व्यापक हो फूलों में, भला भगवान पर भगवान को कैसे चढाऊं मैं।अजब हैरान हूं भगवन तुम्हें कैसे रिझाऊं मैं।



लगाना भोग कुछ तुमको, यह एक अपमान करना है, खिलाता है जो सब जग को, उसे कैसे खिलाऊं मैं।अजब हैरान हूं भगवन तुम्हें कैसे रिझाऊं मैं।



तुम्हारी ज्योति से रोशन हैं, सूरज, चांद और तारे, महा अन्धेर है कैसे तुम्हें दीपक दिखाऊं मैं।अजब हैरान हूं भगवन तुम्हें कैसे रिझाऊं मैं।



भुजाएं हैं, न गर्दन है, न सीना है न पेशानी,
तुम हो निर्लेप नारायण, कहां चंदन लगाऊँ मैं।अजब हैरान हूं भगवन तुम्हें कैसे रिझाऊं मैं

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