नारद ने झगड़ा करवाया गाय गंगा में बिन कारण।गाय कहे में पावन हूं,तो गंगा कहे की में पावन।नारद ने झगड़ा करवाया गाय गंगा में बिन कारण।गाय कहे में पावन हूं,तो गंगा कहे की में पावन।
मेरे जल की धारा में तो मुर्दे भी तर जाते है।शुभ कारज् में मेरे ही जल से छींटा भी लगवाते है। एक बूंद जिस पे पड़ जाए वो जन हो जाता पावन।गाय कहे में पावन हूं,तो गंगा कहे की में पावन।नारद ने झगड़ा करवाया गाय गंगा में बिन कारण।गाय कहे में पावन हूं,तो गंगा कहे की में पावन।
मेरे गोबर से तो घर और आंगन भी लिप जाते है।मेरे मूत्र के सेवन से असाध्य रोग मिट जाते है।कान्हा जिसको प्रेम से खाते मेरे दूध का वो माखन।गाय कहे में पावन हूं,तो गंगा कहे की में पावन।नारद ने झगड़ा करवाया गाय गंगा में बिन कारण।गाय कहे में पावन हूं,तो गंगा कहे की में पावन।
बारह बरसों बाद कुंभ का मेला मेरे द्वार लगे।कर स्नान मेरे ही जल से सब भक्तों का भाग जगे।में शिव के मस्तक पर रहती बात नही ये साधारण।गाय कहे में पावन हूं,तो गंगा कहे की में पावन।नारद ने झगड़ा करवाया गाय गंगा में बिन कारण।गाय कहे में पावन हूं,तो गंगा कहे की में पावन।
देखा है मैंने भी कुंभ को तूं कैसा व्यवहार करे।कुछ डूबे कुछ अधमरे तूं कैसा नर संहार करे।में वैतरणी पार कराऊं दूर करूं सुना आंगन।गाय कहे में पावन हूं,तो गंगा कहे की में पावन।नारद ने झगड़ा करवाया गाय गंगा में बिन कारण।गाय कहे में पावन हूं,तो गंगा कहे की में पावन।
कोई छोटा बड़ा ना तुम में दोनो से विष्णु बोले।आशीर्वाद तुम्हारा सब पे एक तराजू में तोले।एक है तारणहार तो एक सदा करती पालन।गाय कहे में पावन हूं,तो गंगा कहे की में पावन।नारद ने झगड़ा करवाया गाय गंगा में बिन कारण।गाय कहे में पावन हूं,तो गंगा कहे की में पावन।