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विविध भजन

mera guru paya gyan ka pyala,हो मेरा गुरु पाया ज्ञान रा प्याला,

हो मेरा गुरु पाया ज्ञान रा प्याला,

हो मेरा गुरु पाया ज्ञान रा प्याला, पी रहा होय मतवाला,हो मेरा गुरु पाया ज्ञान रा प्याला,

पीवत प्याला नशा चढ़िया बाहर राग निकाला।पीवत प्याला नशा चढ़िया बाहर राग निकाला। रोम रोम में चढ़ी खुमारी होया जगत से निराला।हो मेरा गुरु पाया ज्ञान रा प्याला हो।

लाज कान सब कुल की त्यागी ,ऐसा रूप खुलारा।लाज कान सब कुल की त्यागी ,ऐसा रूप खुलारा। हाथ में सिंदूर अथाक तरसिया,चार माय झुलाना हो मेरा गुरु पाया ज्ञान रा प्याला,हो मेरा गुरु पाया ज्ञान रा प्याला,

बाहर भीतर पुरण भरिया,निर्खत भया निराला।बाहर भीतर पुरण भरिया,निर्खत भया निराला।चालत आद अधम की लेरा ज्ञान दीजे रे भाला।हो मेरा गुरु पाया ज्ञान रा प्याला,हो मेरा गुरु पाया ज्ञान रा प्याला,

गुरु शुकराम दे परजा पद किरपा की कर पाला।गुरु शुकराम दे परजा पद किरपा की कर पाला।बछल राम का बीच समाया देत उपाधि काला।।हो मेरा गुरु पाया ज्ञान रा प्याला,हो मेरा गुरु पाया ज्ञान रा प्याला,

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