(तर्ज : मीठे रस री भयोड़ी राधा राणी लागै)
बीरो भात भरण न आयो, म्हारो राख्यो मान सवायो, जामण जायो म्हांन आंखड़ल्या रो तारो लागे। म्हांन बाबुल रो परिवार प्यारो प्यारो लागे।
बिकाण री बणी चूनड़ी जो द्याण रंगवाई जी कोटा बूंदी, छापा छपिया जैपूरीय जड़वाई जी, नौलख तारां स्यूं चमम्योड़ी हीरा मोल्यां स्यूं मंढ़योड़ी, चमचम चमकै जद चंदा रो सो चांदणीयो लागै। म्हांन बाबुल रो परिवार प्यारो प्यारो लागै।
बीरो भात भरण न आयो, म्हारो राख्यो मान सवायो, जामण जायो म्हांन आंखड़ल्या रो तारो लागे। म्हांन बाबुल रो परिवार प्यारो प्यारो लागे।
छप्पन करोड़ रोकड़ी रूपीया मेवा और मिष्ठान जी, सोनो ल्याया चांदी ल्याया और जरी रा थान जी। रखड़ी हार नौलखा ल्याया, गजरा मोत्यां स्यूं जड़वाया ,पेहरी ओढ़ी बाई फूलांरो भार लागे।म्हांन बाबुल रो परिवार प्यारो प्यारो लागै।
बीरो भात भरण न आयो, म्हारो राख्यो मान सवायो, जामण जायो म्हांन आंखड़ल्या रो तारो लागे। म्हांन बाबुल रो परिवार प्यारो प्यारो लागे।
गांव गली नर नार सरायो सासू नणंद सरायो जी। देवर देवराणी जेठ-जेठानी सगलां र मन भायो जी। म्हारा सांवरीया सो भाई, राधा रूखमण सी भोजाई, म्हांन सदा सवायो सुरज सो उजियारो लागै। म्हांन बाबुल रो परिवार प्यारो प्यारो लागे।
बीरो भात भरण न आयो, म्हारो राख्यो मान सवायो, जामण जायो म्हांन आंखड़ल्या रो तारो लागे। म्हांन बाबुल रो परिवार प्यारो प्यारो लागे।