अरे सबरी काई थारी सासु लागे जिणरो बेर स खायो।अरे कर्मा काई थारी काकी लागे जिणरो ,खीचड़ खायो।जाट भगत के मन में बाबा बात एक ही आवे।ते जीमण को चटो स बाबा जीमण बठे ही जाव।ते जीमण को चटो स बाबा जीमण बठे ही जाव।
मोठ बाजरी रोटी राबड़ी हद से होगी बारे।
पेड़ और चूरमा तेरा महँगा हो गया लार।
फ़ाकाम फाक जाट श्याम रे बोल कठे सु जिमावे।ते जीमण को चटो स बाबा जीमण बठे ही जाव।ते जीमण को चटो स बाबा जीमण बठे ही जाव।
जद तेरे कीर्तन में जावा ठाट , घाना ही देख्या।
छप्पन भोग का थाल सांवरा सेठ लिया से बैठया।मेरे से न जुटे राबड़ी कठे से भोग लगावे।ते जीमण को चटो स बाबा जीमण बठे ही जाव।ते जीमण को चटो स बाबा जीमण बठे ही जाव।
जया जाट का ताना सुनकर श्याम धणी मुस्कावे।कवे जाट ते मत कर रोला क्याने राड़ माचवे।रोज़ रोज़ ये मीठा खाता जी मेरा भरमावे।ते तयार राखिजे मिर्ची रोटी श्याम तेरे घर आवे।।ते जीमण को चटो स बाबा जीमण बठे ही जाव।।ते जीमण को चटो स बाबा जीमण बठे ही जाव।