गम दम में कम हो जाएगा ।इस गम का नही र ठिकाना
इस गम का नही ठिकाना,,
निकल जायेगा दम कम होकर ,
पिलंग छोड़ पाटे पर सोकर
घर परिवार सभी को खोकर,
चलने की ठहराई की
बस बाकी रहा उठाना…गम दम में कम हो जाएगा…इस गम का नही ठिकाना,
भाई बन्धु कुटुंब स्नेही,
यम के दूत बनेंगे ये ही
हाथों हाथ उठाले दो ही घड़ी नही गम खाय की
झटपट ले ज्याय मुसाणा…गम दम में कम हो……
गम का नही ठिकाना,
तू कहता था मेरी मेरी, अंत समय ना हुई तेरी
ले कर बांट फिरे गो फेरी, म्हारो माल मचाईकी
हो गया माल बिराना।इस गम का नही र ठिकाना
इस गम का नही ठिकाना,,
पूंजी करले राम नाम की, इसमें कौडी लगे न दाम की,मनु’कहे ये तेरे काम की, भवसागर तीर ज्यायसी
मिट ज्यागा आना जाना।इस गम का नही र ठिकाना
इस गम का नही ठिकाना,,