तर्ज, दीनानाथ मेरी बात
रिद्धि सिद्धि वाले गणपति बाबा तेरी महिमा भारी है। जो तेरे दरबार में आए उसकी विपदा टारी है।
पूजा में मनूहार कर मोदक खिलाऊं। धीरत सिंदूर तेरे बदन लगाऊं। प्रेम से उतारू तेरी आरती जो प्यारी है।जो तेरे दरबार में आए उसकी विपदा टारी है।रिद्धि सिद्धि वाले गणपति बाबा तेरी महिमा भारी है। जो तेरे दरबार में आए उसकी विपदा टारी है।
देवों में हो देव सारे जग से निराले हो। गाये जिसकी बंदना वह लाभ शुभ वाले हो।अपना लो या ठुकरा लो यह मर्जी तुम्हारी है।जो तेरे दरबार में आए उसकी विपदा टारी है।रिद्धि सिद्धि वाले गणपति बाबा तेरी महिमा भारी है। जो तेरे दरबार में आए उसकी विपदा टारी है।
यह मत सोचो गणपति बाबा ऐसे चला जाऊंगा। तेरे दर पर आया हूं लेकर ही कुछ जाऊंगा। दर्शन दो मेरी जिंदगी की अंतिम सांस तुम्हारी है।जो तेरे दरबार में आए उसकी विपदा टारी है।रिद्धि सिद्धि वाले गणपति बाबा तेरी महिमा भारी है। जो तेरे दरबार में आए उसकी विपदा टारी है।
रिद्धि सिद्धि वाले गणपति बाबा तेरी महिमा भारी है। जो तेरे दरबार में आए उसकी विपदा टारी है।