स्वामिनी अपनी मान रे मोहिनी।स्वामिनी अपनी मान रे मोहिनी।
तुम्हरे चरण कमल कहां ध्यावत।तुम्हरे चरण कमल कहां ध्यावत। गावत नित गुणगान रे तूं ही, भक्ति मुक्ति नहीं मांगती स्वामिनी। मांगती यही वरदान रे तू ही, स्वामिनी अपनी मान रे मोहिनी।स्वामिनी अपनी मान रे ।
करों टहल बनी महल टहलीनी। करों टहल बनी महल टहलीनी।उर ना कामना आन रे मोहि। देऊ बुहारी पलकनी महलिनि। लेऊं कबहुं पीकदान रे मोहि।स्वामिनी अपनी मान रे मोहिनी।स्वामिनी अपनी मान रे ।
खाय कृपालु जाऊं बली कबहुंक। जूठन मुख के पान रे मोहि।स्वामिनी अपनी मान रे मोहिनी।स्वामिनी अपनी मान रे मोहिनी।स्वामिनी अपनी मान रे मोहिनी।स्वामिनी अपनी मान रे ।