तर्ज,दुल्हे का सेहरा
इतने सेठ जहां में मौज उड़ाते हैं, उनही से पूछो कहां से लेकर आते हैं। पता लगाया हमने इसके बारे में। पता लगा वह अक्सर खाटू जाते हैं।इतने सेठ जहां में मौज उड़ाते हैं, उनही से पूछो कहां से लेकर आते हैं।
श्याम हो जब साथ चिंता भली कैसी। काम सारे हो रहे इसकी दया ऐसी। हो गई पूरी तमन्ना चाहा था जैसा। मिल गया हमको ठिकाना दुनिया में वैसा। किसी के आगे हाथ नहीं फैलाते हैं। पड़े जरुरत सीधा खाटू जाते हैं।इतने सेठ जहां में मौज उड़ाते हैं, उनही से पूछो कहां से लेकर आते हैं।
देखा इसने हाल जब इस नए ज़माने का,
पड़ गया चस्का इसे भी सेठ बनाने का,
आज़माना है अगर तुम आजमा लेना ,
खाटू जाकर ये करिश्मा भी देख लेना ,
निर्धन से निर्धन सेठ भी खाटू जाते है,
अगले दिन वो भी सेठ नजर आते हैं ,
निर्धन से भी निर्धन सेठ नजर आते हैं।
इतने सेठ जहां में मौज उड़ाते है,
उन्ही से पुछो कहा से लेकर आते है।
हैं इरादा अगर तेरा भी मौज उड़ाने का ,
भक्तो तुम भी नियम बना लो खाटू जाने का,
खाटू आने जाने से किस्मत बदल जाती,
श्याम अच्छी खासी पहचान हो जाती ,
रोज रोज जो श्याम से मिलने जाते हैं,
जो हर गारश में श्याम से मिलने आते हैं,
साबरिया की अखो में बस जाते हैं।
इतने सेठ जहां में मौज उड़ाते हैं, उनही से पूछो कहां से लेकर आते हैं। पता लगाया हमने इसके बारे में। पता लगा वह अक्सर खाटू जाते हैं।इतने सेठ जहां में मौज उड़ाते हैं, उनही से पूछो कहां से लेकर आते हैं।