तेरे दरबार में दाता सुनाने दिल की आये हैं। करे क्या आपसे परदा सोच परदे हटाये है।तेरे दरबार में दाता सुनाने दिल की आये हैं। करे क्या आपसे परदा सोच परदे हटाये है।
जिसे भी जानकर अपना राज दिल का बता डाला। हुआ क्या हाल मत पूछो कलेजा ही जला डाला। गैर तो गैर थे फिर भी चोट अपनों की खाए हैं ।तेरे दरबार में दाता सुनाने दिल की आये हैं। करे क्या आपसे परदा सोच परदे हटाये है।
जहाँ में शोर हैं ऐसा नहीं कोई श्याम के जैसा। निभाता प्रेम प्रेमी से चलो देखूं तू हैं कैसा। सोचकर मन में ये मोहन तेरे नजदीक आये हैं।तेरे दरबार में दाता सुनाने दिल की आये हैं। करे क्या आपसे परदा सोच परदे हटाये है।
तेरे दरबार में दाता सुनाने दिल की आये हैं। करे क्या आपसे परदा सोच परदे हटाये है।तेरे दरबार में दाता सुनाने दिल की आये हैं। करे क्या आपसे परदा सोच परदे हटाये है।