ना तो खाटू की गलियां सोती है,ना तो खाटू का राजा सोता है।आओ चले हम खाटू नगरिया,ऐसा वाहां होता है।
श्याम ने जाना कोई न होगा कलियुग में अपना किसी का।कलियुग में अपना किसी का।शीश का दानी तब ही बना है अपमान हो न किसी का।अपमान हो न किसी का।बाबा उसको ही अपना बनाते हैं जो तन्हाई में कोई रोता है।
ना तो खाटू की गलियां सोती है,ना तो खाटू का राजा सोता है।आओ चले हम खाटू नगरिया,ऐसा वाहां होता है।
साथी हो तेरे दुख दर्द का वह प्रेमी को अपना बताए।प्रेमी को अपना बताए। संसार में कोई जब भी है हारा कन्हैया गले से लगाए।कन्हैया गले से लगाए।उसे जीवन मरण का पता कहां है जो बाबा के चरणों में सोता है।
ना तो खाटू की गलियां सोती है,ना तो खाटू का राजा सोता है।आओ चले हम खाटू नगरिया,ऐसा वाहां होता है।
चरणों में इनकी यह विनती है मेरी होना कभी ना जुदाई।होना कभी ना जुदाई।कोमल को बाहों में अपनी छुपाकर बाबा यह देना गवाही।बाबा यह देना गवाही।तु तो दिनों की बिगड़ी बनाता है हारे का सहारा कहाता है।
ना तो खाटू की गलियां सोती है,ना तो खाटू का राजा सोता है।आओ चले हम खाटू नगरिया,ऐसा वाहां होता है।