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शिव भजन लिरिक्सshiv bhajan lyrics

Kya nirala thath hai vishdhari ka,क्या निराला ठाठ है विषधारी का,shiv bhajan

क्या निराला ठाठ है विषधारी का

तर्ज,रेशमी सलवार कुर्ता जाली का

क्या निराला ठाठ है विषधारी का। भेष कहा नहीं जाए श्री त्रिपुरारी का।क्या निराला ठाठ है विषधारी का। भेष कहा नहीं जाए श्री त्रिपुरारी का।भेष कहा नहीं जाए श्री त्रिपुरारी का।

है अंग में भस्म लगाएं और गले नाग की माला। श्री गंगा जटा में सोहे चमके त्रिशूल विशाला। बेल असवारी का।भेष कहा नहीं जाए श्री त्रिपुरारी का।

कर में डमरू डम डम बाजे पहने बाघंबर आला। खूब पास में नंदी घूमे, जी मस्त और मतवाला। गंध उजियारी का।भेष कहा नहीं जाए श्री त्रिपुरारी का।भेष कहा नहीं जाए श्री त्रिपुरारी का।

लगे भूत प्रेत सब सोहै और नाचे दे दे ताली सर खड़ी है खप्पर काली जो हुकुम बजाने वाली। दुष्ट संहारी का,भेष कहा नहीं जाए श्री त्रिपुरारी का।भेष कहा नहीं जाए श्री त्रिपुरारी का।

कहे भक्त दर्दी शिव शंकर महिमा तेरी है न्यारी। तुम हरते कष्ट जन्म भर ना करते जरा आवारी।सभी नर नारी का।भेष कहा नहीं जाए श्री त्रिपुरारी का।भेष कहा नहीं जाए श्री त्रिपुरारी का।

क्या निराला ठाठ है विषधारी का। भेष कहा नहीं जाए श्री त्रिपुरारी का।क्या निराला ठाठ है विषधारी का। भेष कहा नहीं जाए श्री त्रिपुरारी का।भेष कहा नहीं जाए श्री त्रिपुरारी का।

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