ओ जी म्हारे आंगन कुवलो
ओ जी म्हारे आंगन कुवलो खुदा दो, जे को ठंडो पानी।।
जूड़ो छोड़यो नहाबा बैठिया, ईसरजी की रानी।
रानी से पटरानी की जो, बोले अमृत वाणी।।
अमृत का दोई प्याला भरिया, कंकू की रे प्याली।
मीठो बोल्या हृदय बसिया, मन में हरक उछाव।। ओ जी म्हारे आंगन,कुवलो
ओ जी म्हारे आंगन कुवलो खुदा दो, जे को ठंडो पानी।।
जूड़ो छोड़यो नहाबा बैठिया, बासकजी की रानी।रानी से पटरानी की जो, बोले अमृत वाणी।।अमृत का दोई प्याला भरिया, कंकू की रे प्याली।मीठा बोलिया हृदय बसिया, मन में हरक उछाव।। ओ जी म्हारे आंगन कुवलो
ओ जी म्हारे आंगन कुवलो खुदा दो, जे को ठंडो पानी।।
इसी प्रकार देवताओं के बाद घर वालों के नाम लें।