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Gara ki gangor kuwa par kyo re khadi hai,गारा की गणगौर कुआ पर क्यों रे खड़ी है,gangor geet

गारा की गणगौर कुआ पर क्यों रे खड़ी है।

गारा की गणगौर कुआ पर क्यों रे खड़ी है।
सिर पर लम्बे-लम्बे केश, गले में फूलों की माला पड़ी रे।। गारा की गणगौर कुआ पर क्यों रे खड़ी है।

चल्यो जा रे मूरख अज्ञान, तुझे मेरी क्या पड़ी रे।
म्हारा ईशरजी म्हारे साथ, कुआ पर यूं रे खड़ी रे।। गारा की गणगौर,



माथा ने भांवर सुहाय, तो रखड़ी जड़ाव की रे।
कान में झालज सुहाय, तो झुमकी जड़ाव की रे।। गारा की गणगौर,



मुखड़ा ने भेसर सुहाय, तो मोतीड़ा जड़ाव का रे।हिवड़ा पे हांसज सुहाय, तो दुलड़ी जड़ाव की रे।। गारा की गणगौर,



तन पे सालू रंगीलो, तो अंगिया जड़ाव की रे।
हाथों में चुड़ला पहना, तो गजरा जड़ाव का रे।। गारा की गणगौर,



पावों में पायल पहनी, तो घुंघरू जड़ाव का रे।
उंगली में बिछिया सुहाय, तो अनवट जड़ाव का रे।। गारा की गणगौर,

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