पापा मैं छोटी से बड़ी हो गई क्यों।पापा मैं छोटी से बड़ी हो गई क्यों।पापा निगाहों में ममता की बाहों में, कुछ दिन और रहती तो क्या बिगड़ जाता।
गया वो बचपन, गए वो अपने बेगाने हो गैर, सारे वो अपने।नन्ही सी तू गुड़िया मेरी
नन्हा सा वो झूला,जहां में दूर हुआ
वही मुंह फूल तेरा,फिर से मनाने का
गले से लगाने का,दिन यही और रहते
तो क्या बिगड़ जाता।
करूँगा में विदा तुझे है किस दिल से,
सोचों जब यही मैं राह जान हिल के, पेर मेरी बेटी तुझे जाना तो होगा।
तूने जिसे चाहा उसे पाना तो होगा। चल री सजनी अब क्या सोचे, कजरा न बह जाए रोते रोते। पापा निगाहों में ममता की बाहों में, कुछ दिन और रहती तो क्या बिगड़ जाता।
पापा मैं छोटी से बड़ी हो गई क्यों।पापा मैं छोटी से बड़ी हो गई क्यों।पापा निगाहों में ममता की बाहों में, कुछ दिन और रहती तो क्या बिगड़ जाता।