तर्ज,राधिका गोरी से
सेठ तो सांवरीयो,भगत मन भावानियो, मंडफ्या में बैठ्यो सरकार।सेठ तो सांवरीयो,भगत मन भावानियो, मंडफ्या में बैठ्यो सरकार।सुने भगता री पुकार रे।
हाथां मुरली सोहे छबि है बड़ी निराली।सजधज करके कान्हो दर्शन जावा बलिहारी। बिगड़या काम संवार दे, संवार दे, पल में उबार दे।सेठ तो सांवरीयो,भगत मन भावानियो, भर देवे भंडार।सेठ तो सांवरीयो,भगत मन भावानियो, मंडफ्या में बैठ्यो सरकार।
सेठ तो सांवरीयो,भगत मन भावानियो, मंडफ्या में बैठ्यो सरकार।सेठ तो सांवरीयो,भगत मन भावानियो, मंडफ्या में बैठ्यो सरकार।