मोड़ो क्यूँ आयो गिरधारी,मोड़ो क्यूँ आयो बनवारी।ले जा गांठ तिहारी रे।मोड़ो क्यूँ आयो गिरधारी,मोड़ो क्यूँ आयो बनवारी।ले जा गांठ तिहारी रे।
और सगा न महल मालिया, झरोखा अटारी।
नरसिले ने टुटी रे झोंपड़ी,वा भी गांव सूं न्यारी रे।मोड़ो क्यों आयो गिरधारी,मोड़ो क्यूँ आयो बनवारी।ले जा गांठ तिहारी रे।
और सगा न माल मलीदा,चाबण पान सुपारी।
नरसिले ने लुखी रे खिचड़ी,वा भी लूण सूं खारी रे।मोड़ो क्यूँ आयो गिरधारी,मोड़ो क्यूँ आयो बनवारी।ले जा गांठ तिहारी रे।
और सगा न शाल दुशाला,रेशम जरी किनारी।
नरसिले ने फाटी रे गुदड़ी, बीमे भी सो सो कारी
मोड़ो क्यूँ आयो गिरधारी,मोड़ो क्यूँ आयो बनवारी।ले जा गांठ तिहारी रे।
और सगा न हिंगलू ढोलिया,पोढण की तैयारी।
नरसिले ने टूटी रे मचली, वा भी दाण सूं न्यारी रे
मोड़ो क्यूँ आयो गिरधारी,मोड़ो क्यूँ आयो बनवारी।ले जा गांठ तिहारी रे।
कहे नरसिलो सुण रे साँवरा, आछी बात बिगाड़ी।म्हारो तो प्रभू कुछ नहीं जावे,बिड़द लाजसी थारी।मोड़ो क्यूँ आयो गिरधारी,मोड़ो क्यूँ आयो बनवारी।ले जा गांठ तिहारी रे।
मोड़ो क्यूँ आयो गिरधारी,मोड़ो क्यूँ आयो बनवारी।ले जा गांठ तिहारी रे।मोड़ो क्यूँ आयो गिरधारी,मोड़ो क्यूँ आयो बनवारी।ले जा गांठ तिहारी रे।