किनारे से किश्ती लगानी पड़ेगी,भँवर बीच नैया, बचानी पड़ेगी ।।
पवन नन्दनाये, तेरी याद सताये, तुम्हारे सिवा कौन, बिगड़ी बनाये, लगन है पुरानी, निभानी पड़ेगी । किनारे से किश्ती लगानी पड़ेगी,भँवर बीच नैया, बचानी पड़ेगी ।।
तुम्हारे लिये कुछ भी, मुश्किल नहीं है, सियाराम के दास, सुनी सो कही है. मेरी हरकतें तो भुलानी पड़ेगी ॥ किनारे से किश्ती लगानी पड़ेगी,भँवर बीच नैया, बचानी पड़ेगी ।।
कसम है तुम्हें, अपनी गम्भीरता की, ओ बजरंगबली तेरी हिम्मत बला की, ये तकलीफ थोड़ी, उठानी पड़ेगी ।। किनारे से किश्ती लगानी पड़ेगी,भँवर बीच नैया, बचानी पड़ेगी ।।
झुका श्यामबहादुर, चरण में तुम्हारे, गुनाह माफ तुम ही करोगे हमारे, झलक ‘शिव दया की, दिखानी पड़ेगी ।। किनारे से किश्ती लगानी पड़ेगी,भँवर बीच नैया, बचानी पड़ेगी ।।