कण कण में तेरा वास प्रभु,
जो करे दुखों का नाश प्रभु ।दुनिया भर की खुशियां मेरे पास आ गई, खाटू धाम की माटी म्हारै रास आ गई।
कोई नहीं दिख्यो अपणो, जद तू ही नजर मनै। आयो खाटू नगरी आ बैठयो, जब मेरो जी घबरायो ।पैर धरयो खाटू मै, सांस मै सांस आ गई। खाटू धाम की माटी म्हारै रास आ गई।
खाटू की माटी का हमने देखा अजब नजारा ।क्या निर्धन क्या सेठ, सभी को इसने पार उतारा। दुनिया सारी करके, ये विश्वास आ गई। थारे धाम की माटी म्हारै रास आ गई।
रेत नहीं मामूली, ये तो है संजीवन बूटी ।मौज करूं दिन सांवरा, सोऊं तान के खूंटी। होली और दीवाली, बारहों मास आ गई। खाटू धाम की माटी म्हारै रास आ गई।
तेरी इस पावन मिट्टी में, मैं मिट्टी हो जाऊँ। सदा-सदा के लिए तेरे इन चरणों में सो जाऊँ । नरसी ” के होंठो पे इतनी प्यास आ गई खाटू धाम की माटी म्हारै रास आ गई।