तर्ज,दीनानाथ मेरी बात
मंगलवार शनिवार बालाजी ने ध्याले तूं । थोडो सो सिंदूर चढ़ाकर मन का चाया पाले तूं।मंगलवार शनिवार बालाजी ने ध्याले तूं । थोडो सो सिंदूर चढ़ाकर मन का चाया पाले तूं।
संकट मोचन संकट हारी सारी दुनिया बोले हैं। बड़ा बड़ा राजा महाराजा आके दर पर डोले हैं। राम-राम से रीझे है ये राम-राम बस गाले तूं।थोडो सो सिंदूर चढ़ाकर मन का चाया पाले तूं।मंगलवार शनिवार बालाजी ने ध्याले तूं । थोडो सो सिंदूर चढ़ाकर मन का चाया पाले तूं।
तुरता फुर्ती काम पटावे भगत की पीड़ा कांटे हैं।शरण पड़या ने बालाजी कदे भी नाही नाटे है। जद बजरंग बली है साग फिर क्यों चिंता पाले तूं।थोडो सो सिंदूर चढ़ाकर मन का चाया पाले तूं।मंगलवार शनिवार बालाजी ने ध्याले तूं । थोडो सो सिंदूर चढ़ाकर मन का चाया पाले तूं।
लाल लंगोटो हाथ में सोटो सेठ मोटो मोटो है।भर्या रहवे भंडार आंके कदी ना होवे टोटो है।श्याम कहें है सांची महिमा बालाजी की गाले तु।थोडो सो सिंदूर चढ़ाकर मन का चाया पाले तूं।मंगलवार शनिवार बालाजी ने ध्याले तूं । थोडो सो सिंदूर चढ़ाकर मन का चाया पाले तूं।