आदि अनादि अभय वरदाती,प्रचंड काली का गुणगान। आदि भवानी मां दुर्गा का रूप है काली का विकराल। उमा से काली की उत्पत्ति, डर से कांपे काल कराल। दुष्ट दलन संघारीनी मैया, क्या लिखें क्या सुमिरन गाये, नारद सारद पाये ना पार।जय काली कलकत्ते वाली,
धर्म की रक्षा करने हेतु काली मां ने लिया अवतार। खड़क खप्पर मुंड की माला हाथ में मां के भाला सोहे। धन्य है धरती कलकत्ता की कण कण में काली का बास।कलकत्ता का धाम निराला कर लो भक्तों तुम विश्वास। काली मां की महिमा सुनाऊं।
काली है शमशान की देवी, रुद्र सनी का जो कहलाए। दुष्ट क्लेश भय थरथर कांपे, मां की महिमा जो भी सुने वह, ततक्षण फल पाता ही जाए। मां के करिश्मे अजब गजब है, पल में राजा रंक बनाएं। मां काली का धाम निराला।जय काली कलकत्ते वाली, तेरा वचन ना जाए खाली।
आदि अनादि अभय वरदाती,प्रचंड काली का गुणगान। आदि भवानी मां दुर्गा का रूप है काली का विकराल। उमा से काली की उत्पत्ति, डर से कांपे काल कराल। दुष्ट दलन संघारीनी मैया, क्या लिखें क्या सुमिरन गाये, नारद सारद पाये ना पार।जय काली कलकत्ते वाली,