Categories
राम भजन लिरिक्स

bhilni se milne ram chale govind hare gopal hare,भीलनी से मिलने राम चले गोविंद हरे गोपाल हरे,ram bhajan

भीलनी से मिलने राम चले गोविंद हरे गोपाल हरे।

भीलनी से मिलने राम चले गोविंद हरे गोपाल हरे। जय जय प्रभु दीनदयाल हरे। गोविंद हरे गोपाल हरे।भीलनी से मिलने राम चले गोविंद हरे गोपाल हरे।

किसने तो रास्ता साफ किया है, किसने राहों में फूल बिखेरे, गोविंद हरे गोपाल हरे।भीलनी से मिलने राम चले गोविंद हरे गोपाल हरे।

शबरी ने रास्ता साफ किया। और खुद ही फूल बिछाए दिए, गोविंद हरे गोपाल हरे। भीलनी से मिलने राम चले गोविंद हरे गोपाल हरे।

काहे की आंकी बनी रे झोपड़िया। काहे के इनमें थाम गड़े, गोविंद हरे गोपाल हरे। भीलनी से मिलने राम चले गोविंद हरे गोपाल हरे।

घास फूस की बनी रे झोपड़िया। बांस के इनमें थांब गड़े, गोविंद हरे गोपाल हरे। भीलनी से मिलने राम चले गोविंद हरे गोपाल हरे।

काहे की इनकी बनी रे छाबड़िया। काहे के इन में बैर भरे,गोविंद हरे गोपाल हरे।भीलनी से मिलने राम चले गोविंद हरे गोपाल हरे।

हरे बांस की बनी रे छाबड़िया।अरे मीठे इनमे बैर भरे,गोविंद हरे गोपाल हरे।भीलनी से मिलने राम चले गोविंद हरे गोपाल हरे।

राम ने बैर प्रेम से खाए। लक्ष्मण ने बाहर फेंक दिए, गोविंद हरे गोपाल हरे।भीलनी से मिलने राम चले गोविंद हरे गोपाल हरे।

शक्ति बाण लगी लक्ष्मण के।यही बैर फिर खाने पड़े,गोविंद हरे गोपाल हरे।भीलनी से मिलने राम चले गोविंद हरे गोपाल हरे।

Leave a Reply

Please log in using one of these methods to post your comment:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s