मैया आओ तो सरी दादी आओ तो सरी। टाबरिया बुलावे इतनी देर क्यों करी।टाबरिया बुलावे इतनी देर क्यों करी।
मन में आवे मावडी थारी जलझारी बन जाऊं में। देहली शीतल करूं रात दिन चरणामृत बन जाऊं, मां चरणामृत बन जाऊं,मैया आओ तो सरी दादी आओ तो सरी। टाबरिया बुलावे इतनी देर क्यों करी।टाबरिया बुलावे इतनी देर क्यों करी।
मन में आवे मावडी थारो सिंहासन बन जाऊं मैं। घट में बैठे मावाडी जद निरख निरख सुख पाऊं मेरी मैया निरख निरख सुख पाऊं ये। मैया आओ तो सरी दादी आओ तो सरी। टाबरिया बुलावे इतनी देर क्यों करी।टाबरिया बुलावे इतनी देर क्यों करी।
मन में आवे मावडी थारी धर्म ध्वजा बन जाऊं मैं। शीखर बंध ऊपर लहराऊं थारो मान बढ़ाऊं ये दादी थारो मान बढ़ाऊं ये।मैया आओ तो सरी दादी आओ तो सरी। टाबरिया बुलावे इतनी देर क्यों करी।टाबरिया बुलावे इतनी देर क्यों करी।
मन में आवे मावडी थारे सिर चुनर बन जाऊं मैं। मनभावन श्रृंगार सजू में नित थारे मन भाऊ ये दादी नित थारे मन भाऊ ये।मैया आओ तो सरी दादी आओ तो सरी। टाबरिया बुलावे इतनी देर क्यों करी।टाबरिया बुलावे इतनी देर क्यों करी।
मन में आवे मावडी थारी मेहंदडली बन जाऊं में। हाथों में रची जाऊं थारे, सुगनी महक लुटाऊं ये दादी सुगनी महक लुटाऊं ये।मैया आओ तो सरी दादी आओ तो सरी। टाबरिया बुलावे इतनी देर क्यों करी।टाबरिया बुलावे इतनी देर क्यों करी।
मन में आवे मावडी थारे पग पायल बन जाऊं मैं। पायलडी बन जाऊं थारे चरना से लग जाऊं,दादी चरना से लग जाऊं,मैया आओ तो सरी दादी आओ तो सरी। टाबरिया बुलावे इतनी देर क्यों करी।
जो भावे सो कहो मावड़ी,वैसे ही बन जाऊं मैं।हाजिर है सेवा में तेजस जीवन सफल बनाऊं ये दादी,जीवन सफल बनाऊं ये।मैया आओ तो सरी दादी आओ तो सरी। टाबरिया बुलावे इतनी देर क्यों करी।