(तर्ज : पलकें ही पलकें)
पलके ही पलके बिछाऐंगे, जिस दिन ईशर गवरजा घर पे आएंगे, हम तो हैं मैया तेरे जन्मों से दीवाने रे-2 मीठे-मीठे गीत सुनाएँगे। जिस दिन ईशर गवरजा घर आऐंगे पलकें ही.
घर का कोना-कोना, मैने फूलों से सजाया,
बन्दरवार लगाई घी का दीप जलाया। प्रेम जनों को बुलाऐंगे, जिस दिन ईशर गवरजा घर पे आएँगे। पलके ही
गंगा जल की झारी मैया के चरण पखारूं।
भोग लगाऊँ लाड़ लड़ाऊँ, आरती उतारूं, खुशबु ही खुशबु उड़ाएँगे। जिस दिन ईशर गवरजा घर पे आऐंगे। पलके ही
अब तो लगन एक ही गवरल, प्रेम सुधा बरसादो, इन प्यारी प्यारी सखियों को अपने रंग रंगालो, वर का वरदान दिलाऐंगे,
जिस दिन ईशर गवरजा घर पे आऐंगे। पलके ही..
ब्रहमा जी के कंवर लाड़ली हेमाजल जी की प्यारी। घुड़लो घुमावे घुमर घाले, सखियाँ नाचे सारी, नैना से नैना मिलाएँगे, जिस दिन ईशर गवरजा घर पे आऐंगे। पलके ही