हे बजरंगी राम दुलारे विनय मेरी स्वीकार करो। हरि चरणन की लगन ना छूटे मुझ पर यह उपकार करो।
मन मेरा मंदिर हो जाए, सियाराम आकर बस जाए। नैनन नित तेरे दर्शन पाए, वाणी मेरी हरि गुण गाए। राही की है आस पुरानी हनुमत अब साकार करो।
हे बजरंगी राम दुलारे विनय मेरी स्वीकार करो। हरि चरणन की लगन ना छूटे मुझ पर यह उपकार करो।
सांसों की माला में बनाऊं, सुमिरन से जीवन को सजाऊं। एक पल भी ना हरी विशराऊं चरण शरण रघुवर की पाऊं। राम नाम की नैया देकर हनुमत भव से पार करो।
हे बजरंगी राम दुलारे विनय मेरी स्वीकार करो। हरि चरणन की लगन ना छूटे मुझ पर यह उपकार करो।