घर-घर में जगा दी तेरी ज्योति घर-घर में। कि बस एक बारी मां आजा। आजा कि खुला पड़ा हुआ दरवाजा हो हो।
मेरी सास बुलावे आजा मेरे ससुर बुलावे आजा। मेरी सास को धीर बंधा जा ससुरे को दरस दिखा जा। कि अपना बनाने अब आजा।आजा कि खुला पड़ा हुआ दरवाजा हो हो।
घर-घर में जगा दी तेरी ज्योति घर-घर में। कि बस एक बारी मां आजा। आजा कि खुला पड़ा हुआ दरवाजा हो हो।
मेरे जेठ बुलावे आजा मेरी जिठानी बुलावे आजा। देवर का लाड लड़ा जा छोटी की गोदी भरा जा।के लांगुर संग में लेके आजा।आजा कि खुला पड़ा हुआ दरवाजा हो हो।
घर-घर में जगा दी तेरी ज्योति घर-घर में। कि बस एक बारी मां आजा। आजा कि खुला पड़ा हुआ दरवाजा हो हो।
मेरी ननद बुलावे आजा नंदोई बुलावे आजा। ननद को सबर बंधा जा, नंदोई को दरस दिखा जा। की लक्ष्मी बनकर तू आजा। आजा कि खुला पड़ा हुआ दरवाजा हो हो।
घर-घर में जगा दी तेरी ज्योति घर-घर में। कि बस एक बारी मां आजा। आजा कि खुला पड़ा हुआ दरवाजा हो हो।
मेरी पास पड़ोसन बुलावे घर-घर में धूम मचावे। धूप दीप के थाल सजा वे प्यारी-प्यारी भेटे गावे। कि उनको दरस दिखा जा। आजा कि खुला पड़ा हुआ दरवाजा हो हो।
घर-घर में जगा दी तेरी ज्योति घर-घर में। कि बस एक बारी मां आजा। आजा कि खुला पड़ा हुआ दरवाजा हो हो।