तर्ज, गीगा घड़ी एक सोजा
सपना में आया वो म्हारा श्याम धणी दातार।हाथ फेरकर सिर पर बोलयो बाबो लखदातार। बावला क्यूं घबरावे रे।संकट का बादल दुनिया में आवे जावे रे।नैन क्यों नीर बहावे रे। तेरे साथ में खड़यो बावला क्यों घबरावे रे।संकट का बादल दुनिया में आवे जावे रे।
मोर छड़ी हाथा में सोहनो बागो घेर घुमेर। हंसकर बाबो गले लगायो जाने कितनी देर। मेरो हिवडो हर्सायो रे। केसर की बा महक आज कनठासू आवे रे ,बात भूली नहीं जावे रे।नैन क्यों नीर बहावे रे। तेरे साथ में खड़यो बावला क्यों घबरावे रे।संकट का बादल दुनिया में आवे जावे रे।
बगीचा फुलवारी जैयाँ हिवड़ों खिल गयो रे। रोम रोम में मिली बधाई ठाकुर मिल गयो रे। जन्म यूं मिलतो जावे रे। बात नहीं छोटी बाबो सपना में आवे रे। रोबता ने धीर बंधावे रे।तेरे साथ में खड़यो बावला क्यों घबरावे रे।नैन क्यों नीर बहावे रे।संकट का बादल दुनिया में आवे जावे रे।
चरण धोए कर सांवरिया का चरणामृत पियो रे। लहरी चाकर बनकर तेरो हरदम जीनो रे। मेरो मन झुमयो जावे रे। देख-देख तने श्याम सुरीली तान सुनावे रे।नैन क्यों नीर बहावे रे।तेरे साथ में खड़यो बावला क्यों घबरावे रे।संकट का बादल दुनिया में आवे जावे रे।