होली में कान्हा मचल गयो री , मेरी चुनरी को रंग के निकल गयो री ।
ब्रह्मलोक में ढूंढा ब्रह्मा जी से पूछा, वो तो ब्रह्माणी को रंग के निकल गयो री मेरी चुनरी को रंग के निकल गयो री ।
होली में कान्हा मचल गयो री मेरी चुनरी को रंग के निकल गयो री ।
बैकुंठ में ढूंढा विष्णु जी से पूछा, वो तो लक्ष्मी जी को रंग के निकल गयो री ।मेरी मेरी चुनरी को रंग के निकल गयो री । फागुन में कान्हा मचल गयो री मेरी चुनरी को रंग के निकल गयो री ।
कैलाश में ढूंढा भोले जी से पूछा। वो तो गौरा जी को रंग चढ़ाए गयो री, मेरी चुनरी को रंग के निकल गयो री।फागुन में कान्हा मचल गयो री मेरी चुनरी को रंग के निकल गयो री ।
अयोध्या में ढूंढा राम जी से पूछा।वो तो सीता जो को रंग चढ़ाए गयो री, मेरी चुनरी को रंग के निकल गयो री।फागुन में कान्हा मचल गयो री मेरी चुनरी को रंग के निकल गयो री ।
बरसाने में ढूंढा गोपियों से पूछा।वो तो राधा को रंग चढ़ाए गयो री, मेरी चुनरी को रंग के निकल गयो री ।फागुन में कान्हा मचल गयो री मेरी चुनरी को रंग के निकल गयो री ।