तर्ज,ऐसी होरी तोहे खिलाऊ
राधा सांवरिया से बोली तोसे खेलूंगी मैं होली, मेरे श्याम रे। हो हो होली में तेरो बडो नाम रे।
अरे ग्वाल वालों की टोली लेकर तू कान्हा इतरावे। बीच अकेली गुजरिया को जबरन धक्के लगावे।तोपे गोबर लैप चढ़ाऊं, कीचड़ में तोहै नहलाऊं,मेरे श्याम रे। हो हो होली में तेरो बडो नाम रे।
हो रंग बिरंगी पिचकारी मोहन जब लेकर के आवेगो।हो लचकदार गमछी से मोहन मार बड़ी तूं खावेगो।तोपे कोड़े में बरसाऊ, तोको खूब ही मार लगाऊं, पड़ेगो पांव रे।मेरे श्याम रे। हो हो होली में तेरो बडो नाम रे।
चार दिना की छूट कन्हैया पक्को हो आ जाइयो। माखन तोहे खिलाऊ साथ में मिश्री भी खा जाइयो। ऐसी होरी तोहे खिलाऊ तोपे जयकारो लगवाऊं रटेगो राम रे।हो हो होली में तेरो बडो नाम रे।
जो तु होली खेले कान्हा गांव मेरे आ जाना। गुजरियों के संग में होली खूब खेल कर जाना। प्यारे कबीर जन के रसिया सुनकर हो जावे मन बसिया आवे काम रे।हो हो होली में तेरो बडो नाम रे।
राधा सांवरिया से बोली तोसे खेलूंगी मैं होली, मेरे श्याम रे। हो हो होली में तेरो बडो नाम रे।